लेज़र क्या है ( what is laser)
लेज़र ( LASER – Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation) लाइट एंप्लीफिकेशन बाई स्टिमुलेटेड एमीशन ऑफ रेडिएशन’ का संक्षिप्त रूप है। लेज़र की खोज 1960 ई. में अमेरिका के थियोडोर मेमैन ने की थी। लेज़र तकनीकी में प्रकाश की तीव्रता उत्प्रेरित उत्सर्जन द्वारा बढ़ाई जाती है। लेजर प्रकाश पुंज एकवर्णी तथा संगत होता है। लेज़र से पूर्व लेज़र के ही सिद्धांत पर आधारित मेसर काआविष्कार हो चुका था। लेजर व मेसर दोनों उत्प्रेरित उत्सर्जन पर आधारित हैं। उत्प्रेरित उत्सर्जन एक क्वाण्टम परिघटना है।
उत्प्रेरित उत्सर्जन को समझने के लिये परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के व्यवहार को समझना होगा। किसी परमाणु के इलेक्ट्रॉन सामान्य स्थिति में निम्न ऊर्जा अवस्था में अपनी कक्षाओं में नाभिक के चक्कर लगाते रहते हैं, परंतु ये इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का अवशोषण कर उत्तेजित अवस्था में उच्च ऊर्जा कक्षा में जा सकते हैं। परंतु यह उत्तेजित अवस्था स्थायी नहीं होती। ये इलेक्ट्रॉन अवशोषित ऊर्जा को फोटॉन के रूप में उत्सर्जित कर अपनी निम्न ऊर्जा अवस्था में लोट आते हैं। इस प्रक्रिया को स्वत: उत्सर्जन कहते हैं। इसमें उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं रहता।
उत्प्रेरित उत्सर्जन के लिये सबसे पहले संख्या प्रतिलोमन प्राप्त किया जाता है अर्थात् पदार्थ के अधिकांश इलेक्ट्रॉनों को उच्च ऊर्जास्तर पर लाया जाता है। जब इस उच्च ऊर्जा स्तर पर स्थित इलेक्ट्रॉनों से फोटॉन टकराते हैं तो ये इलेक्ट्रॉन मूल फोटॉन की आंवृत्ति का एक और फोटॉन उत्सर्जित कर निम्न ऊर्जा अवस्था में लौट जाते हैं। इस प्रकार एक ही आवृत्ति के दो प्रोटॉन प्राप्त होते हैं (एक मूल तथा दूसरा उत्सर्जित)। इस पूरी प्रक्रिया को उत्प्रेरित उत्सर्जन कहते हैं। इसमें उत्पन्न प्रकाश की आवृत्ति पर नियंत्रण रखा जा सकता है, अत: एकवर्णी व संगत प्रकाश प्राप्त होता है। इस प्रकार प्राप्त लेज़र प्रकाश बिना फैले लंबी दूरी तय कर सकता है।
लेजर के प्रकार (types of lager)
आवश्यकता के अनुरूप नए-नए लेज़रों का विकास हो रहा है। ज़्यादातर लेजर किरणों का तरंगदर्ध्य 3.0 माइक्रोमीटर से 0.3 नैनोमीटर के बीच होता है। इस सीमा के अतिरिक्त तरंगदैर्ध्य पर भी लेज़र बनाए गए हैं। लेज़र के प्रमुख प्रकार हैं
गैस लेज़र
हीलियम, नियॉन (दृश्य प्रकाश), कार्बन डाइऑक्साइड (अवरक्त), ऑर्गन-आयन (दृश्य प्रकाश), कार्बन मोनोऑक्साइड (अवरक्त) आदि।
रासायनिक लेज़र
हाइड्रोजन फ्लोराइड (अवरक्त)।
ठोस पदार्थ लेज़र
ठोस पदार्थ लेजर में क्रिस्टल या अन्य ठोस पदार्थों का उपयोग होता है। सामान्य रूप से ए़युक्त
होने वाले ठोस लेजर हें रूबी लेज़र तथा एनडी-वाईएजी
अर्द्धचालक लेज़र
ये लेज़र वैसे डायोड होते हैं जो वेद्युत उत्प्रेरित करते हैं
डाई लेज़र
इन्हें जैविक रंगों से बनाया जाता है
फाइबर लेज़र
वेसे ठोस पदार्थ लेज़र जिनमें प्रकाश ऑप्टिकल फाइबर के द्वारा पूर्ण आंतरिक परावर्तन की प्रकृति अपनाते हैं, फाइबर लेज़र कहलाते हैं।
मुक्त इलेक्ट्रॉन लेज़र
इस विधि से सूक्ष्म तरंग से लेकर एक्स किरण तक के तरंगदैर्ध्य वाले लेज़र पैदा किये जा
सकते हैं।
लेज़र के अनुप्रयोग (Applications of laser)
लेजर का अनुप्रयोग विभिनन क्षेत्रों, जैसे – चिकित्सा, उद्योग, सैन्य, दूरसंचार, मनोरंजन एवं निर्माण आदि क्षेत्रों मे किया
जा रहा है लेजर किरण पुंज ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से ध्वनि एवं डाटा का तीव्र एवं स्पष्ट पारेषण कर सकते हें।
लेज़र किरणों के प्रभाव से घाव या ट्यूमर को जलाकर नष्ट किया जा सकता है।
शरीर के दाग-धब्बों को मिटाने एवं चेहरे के अनचाहे बालों को निकालने के लिये भी लेज़र का प्रयोग किया जाता है। आँखों के ऑपरेशन, दंत चिकित्सा एवं पथरी के उपचार में भी इसका सफल उपयोग किया जा रहा है।
ओद्योगिक ‘क्षेत्र में वेल्डिंग कार्य, कठोर वस्तुओं काटने, भवनों-पुलों के सर्वेक्षण तथा खनन कार्य में लेज़र का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सैन्य स्तर पर लक्ष्य की समग्रता से माप करने में तथा प्रशिक्षण के समय सैनिकों की राइफल और बंदूकों की फायरिंग प्रक्रिया में भी लेजर का इस्तेमाल होता है।
आजकल लेज़र का उपयोग संगीत रिकॉर्डिंग, रिकॉर्ड गीतों के स्वरों में आवश्यकतानुसार उतार-चढ़ाव उत्पन्न करने आदि में भी किया जाने लगा है।
लेजर का प्रयोग होलोग्राफी में, नाभिकीय संलयन में, दूरी मापने में, मौसम संबंधी जानकारी जुटाने में, समुद्री अध्ययन
में तथा सफाई में भी किया जा रहा है।
लेजर का प्रयोग लेज़र प्रिंटर में भी किया जाता है। लेजर प्रिंटर में ड्रम (जिसे पर अक्षर अंकित किये जाते हैं) तथा टोनर (इसे प्रिंटर की स्याही कहा जा सकता है) दोनों को समान विद्युत आवेश (धन या ऋण) द्वारा आवेशित किया जाता है। लेज़र की सहायता से ड्रम की सतह पर अक्षरों को निरावेशित कर या विपरीत आवेश देकर अंकित कर दिया जाता हैइससे टोनर द्वारा अक्षर ड्रम की सतह पर उभर आते हैं जिन्हें कागज़ पर छाप लिया जाता है।
कुछ आधुनिक स्मृति युक्तियों जैसे CD/DVD/Blu-Ray Disc में भी लेज़र का प्रयोग किया है। इन यक्तियों में लेजर का प्रयोग डाटा अंकित करने तथा उसे पढ़ने के लिये किया जाता है। CD में 180 ननोमीट तरंगदर्ध्य की अवरक्त प्रकाश लेजर, DVD में 650 नेनोमीटर तरंगदर्ध्य को लाल लेज़र तथा ब्लू रे डिस्क में 405 नेनोमीटर तरंगदेर्ध्य की बेंगनी (हल्का वीला) रंग की लेज़र का प्रयोग किया जाता है
भारत में लेज़र प्रौद्योगिकी (laser technology in India)
भारत में लेज़र तकनीक का प्रयोग सर्वप्रथम 1964 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वार गैलियम आर्सेनिक लेज़र के रूप में किया गया। इसके बाद 1965-66 में भाभा परमाणु अनसंधान केंद्र तथा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के बीच प्रकाशीय संचार लिंक स्थापित करने में लेज़र का उपयोग किया गया था।
वर्तमान में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की लेजर स्पेक्ट्रोस्कोपी प्रयोगशाला तथा ऐसी कई अन्य शोध संस्थाओं में लेज़र के क्षेत्र में अनुसंधान’ हो रहे हैं।
भारत में लेज़र प्रौद्योगिकी के विकास में बार्क द्वारा रूबी लेजर, सोडियम ग्लास लेज़र, कार्बन डाइऑक्साइड लेज़र का विकास किया गया है।
केंद्र सरकार के संस्थान के रूप में स्थापित मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में (सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी)
संस्थान में लेजर किरणों के उत्पादन एवं इनके विभिन्न उपयोगों पर सतत् अनुसंधान कार्य चल रहे हैं।
भारत में आठवीं पंचवर्षीय योजना के दोरान ‘राष्ट्रीय लेजर कार्यक्रम’ प्रारंभ ई या गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महत्त्वपूर्ण लेजर विकास एवं लेज़र उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना है।
बंगलुरु स्थित रमन शोध संस्थान में रेडियो दूरबीन के लिये लेज़र प्रणालीं का उपयोग किया जा रहा है। पुन: बंगलुरु स्थित केंद्रीय मशीन टूल्स संस्थान में लेजर के ज़रिये मशीन टूल्स की सटीकता माषी जा रही है।
भारत के ही एक वैज्ञानिक डॉ. सी.के.एन. पटेल ने कार्बन डाइऑक्साइड लेज़र का आविष्कार किया। सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी ने विभिन प्रकार के co2 , लेज़र का विकास किया है, जैसेलो पावर स्लो-फ्लो co2, लेजर, ट्यूनेबल co2लेज़र और हाईप्रेशर पल्स्ड co2 लेज़र। चिकित्सा और उद्योग क्षेत्र में भी co2 लेजर का उपयोग किया जा रहा है।
गत वर्ष दिसंबर माह में द लेजर साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर, नई दिल्ली ने नेत्र चिकित्सा के लिये एक लेज़र तकनीक विकसित की हें। इसका नाम ‘दृष्टि-1064’ रखा गया है। मोतियाबिंद के बाद होने वाले धुँधलेपन और ग्लूकोमा के उपचार में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
नोट: चीन विज्ञान अकादमी ने हाल ही में डीप अल्ट्रावायलेट (DUV) ठोस अवस्था लेज्ञर उपकरण का विकास किया है। ऐसी तकनीक विकसित करने वाला चीन विश्व का प्रथम देश है। इस उपकरण में पोटेशियम बेरिलियम फ्लूगोबोरेट
(KBBF) प्रिज्म का इस्तेमाल किया गया है।
important Questions
लेजर का उपयोग क्या है?
चिकित्सा, उद्योग, सैन्य, दूरसंचार, मनोरंजन ओद्योगिक ‘क्षेत्र में वेल्डिंग कार्य, कठोर वस्तुओं काटने, भवनों-पुलों के सर्वेक्षण तथा खनन कार्य
लेज़र बीम का उपयोग कहाँ होता है?
चिकित्शा के क्षेत्र में लेजर बीम का प्रयोग किया जाता है।
लेजर का आविष्कार कब हुआ
1960 ई.
लेजर का आविष्कार किसने किया था
अमेरिका के थियोडोर मेमैन ने