उदारीकरण एक प्रक्रिया है। जिसके द्वारा मुख्यता आर्थिक नीतियाें से से कुछ प्रतिबंध शिथिल किये जाते है। वस्तुता आर्थिक सुधार की दिशा में आर्थिक उदारीकरण एक महत्वपूर्ण कदम होता है। आर्थिक उदारीकरण के अन्तर्गर्त निम्न निगम कर, घरेलु व विदेशी पूंजी पर अल्प प्रतिबंध तथा श्रम बाजार की लोचशीलता आदि को शामिल किया जाता है.
सामान्यता उदारीकरण का अर्थ है, सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रणो एवं प्रतिबंधों जैसे -परमिट, लाइसेंस ,रक्षक कर , कोटा आदि को हटाना।
1991 से पहले सरकार ने कई प्रकार के नियमो को लागू किया था। जैसे – किसी फर्म को शुरू करने, विस्तार करने अथवा किसी की नई वस्तु का उत्पादन करने के लिए उद्यमियों को लाइसेंसिंग व्यवस्था के अन्तर्गत अनुमति लेना पड़ता था जो एक कठोर प्रक्रिया थी।
गौरतलब है कि 1991 के बाद से नई आर्थिक प्रणाली ने उदारीकरण पर ज्यादा दल दिया जिसने उद्योगपतियों को उत्पादन करने की स्वतंत्रता सुलभ हुई, इस प्रकार रोजगार एवं लोगों की क्रय-शक्ति में बढ़ोतरी हुई।
उदारीकरण के उद्देश्य (objective of liberalization)
अर्थव्यवस्था का बाजार की शक्तियों के आधार पर सञ्चालन होने लगा, सभी देशों ने व्यापार एवं वाणिज्य पर लगे कठोर प्रतिवंध को सरल एवं सुगम बनाने का प्रयास किया। वस्तुता उदारीकरण के उद्देश्य निम्लिखित है।
- सरकार के लोन में कमी लाने में सहायक
- उद्योगों को बढ़ावा देना, साथ ही साथ विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देना।
- औद्योगिक क्षेत्र में उद्योंगो के आंतरिक प्रतियोगिता पर बल देना।
- जिस वस्तु एवं मशीनरी की कमी देश में महसूस की जा रही हैं उनके आयात पर बल देना।
- जिस वस्तु एवं मशीनरी की कमी देश में महसूस की जा रही है, उनके आयात पर बल देना।
- वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात अन्य देशों में किया जाना आदि उदारीकरण के इन उदेश्यों की प्राप्ति हेतु भारत सरकार ने निम्लिखित कदम उठाए।
उदारीकरण के उद्देश्यों क लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
औद्योगिक क्षेत्र में सुधार
भारत में औद्योगिक उदारीकरण दो रूपों में शुरू हुआ पहला लाइसेंस एवं निवेश प्रतिबंधों में छूट दी गई और दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र में पौधों में विनिवेश को बढ़ावा दिया गया आर्थिक सुधार से पूर्व 18 उद्योगों को विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित किया गया था अब केवल परमाणु ऊर्जा एवं रेलवे ही सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित रह गए हैं वर्तमान में पर्यावरण स्वास्थ्य सुरक्षा तथा सामरिक कारणों से केवल 5 उद्योगों को लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है
वस्तुतः एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम 1969 की बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा निवेश करने पर कई तरह के प्रतिबंध लगाता था वहीं दूसरी ओर विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम 1973 जो कि चालू खाता के साथ-साथ पूंजी खाता पर भी विदेशी मुद्रा अधिनियम पर कठोर प्रतिबंध लगाता था इन दोनों को अब इनसे ज्यादा उदार संस्करण प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के रूप में बदल दिया गया है 1991 में आर्थिक सुधार शुरू करने के बाद विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित करने के लिए कई उदार उपाय किए गए थे जबकि कुछ मामलों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के मामलों में 1995 96 के बाद उधार कदम उठाए गए थे
वित्तीय क्षेत्र में सुधार
भारत में 1991 के बाद वित्तीय क्षेत्र में उदारीकरण का विस्तार किया जा रहा है क्षेत्र में सुधार के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया गया है वित्तीय क्षेत्र में उदारीकरण को आर्थिक उदारीकरण का अभिन्न भाग समझा जा सकता है वित्तीय उदारीकरण के अभाव में संपदा क्षेत्र में उदारीकरण आगे नहीं बढ़ सकता है वित्तीय उदारीकरण तीव्र आर्थिक वृद्धि जानकारी अंतरण तथा पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सक्षम होता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है हालांकि लगातार स्पष्ट होता जा रहा है कि वृत्ति उदारीकरण एक दो धारी तलवार है जो एक ओर तो बचत निवेश एवं समृद्धि के बीच सकारात्मक संबंध बनाता है वहीं दूसरी ओर यह मोदी एवं राजकोषीय नीति के लिए कई तरह की या अभी खड़ी करता है उदाहरण के कारण विकासशील देशों में बैंकिंग संकट बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अंतर्गत विशेष अधिकार में शामिल किए जाने वाले मुद्रा जैसे विषय फिलहाल जी-20 की प्रमुख कार्यशैली है
कर व्यवस्था में सुधार
1991 के बाद व्यक्तिगत आय पर लगाए गए करो की दरों में कमी की गई है इससे पूर्व उच्च कर दरों के कारण लोग कर देने से कतराते थे अर्थात कर वंचना होता था अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया कि उच्च कर की वजह से सरकार को कम आएगी प्राप्ति कम होती थी जब कर की दरों में कमी की गई तो स्वेच्छा से कर अदायगी करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी गई
निगम कर में कटौती की गई अप्रत्यक्ष करों में भी सुधार किया गया जैसे वस्तुओं एवं सेवाओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्तर पर साझा बाजार को बढ़ावा दिया गया कर प्रणाली को आसान बनाया गया जिससे करदाता कर का आसानी से भुगतान कर सके साथ-साथ कर की दरों में भी कमी की गई
विदेशी विनिमय सुधार
नई आर्थिक नीति से पूर्व भुगतान शेष की प्रतिकूल स्थिति होने के साथ ही भारत के विदेशी विनिमय कोष में अत्यधिक कमी आई इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए जैसे फेरा के स्थान पर सीमा को लाना भारतीय रिजर्व बैंक को सुविधा प्रदाता के रूप में तैयार करना एवं वस्तु एवं सेवा के आयात एवं निर्यात को बाजार प्रेरित करने पर बल देना
वस्तुतः भुगतान संतुलन की समस्या से निपटने के लिए अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में रुपए का अवमूल्यन किया गया इस से निर्यातकों को लाभ होगा तथा विदेशी मुद्रा के आगमन में वृद्धि होगी इसके साथ ही विदेशी विनिमय बाजार में सरकार के हस्तक्षेप को मुक्त किया गया अब मात्र बाजार में विदेशी मुद्रा की मांग एवं आपूर्ति के आधार पर ही विनिमय दर को निर्धारित किया जाता है
भारत में आंतरिक उद्योगों के संरक्षण के लिए आयात के परिणाम को सीमित रखने की नीतियां अपना रहा था इसके लिए आयात पर कड़े प्रतिबंध एवं उच्च प्रतुल को को लगाया गया था इस नीति के कारण कुशलता एवं प्रतिस्पर्धा क्षमता मैं गिरावट आती थी जिससे देश में विनिर्माण उद्योगों की समृद्धि दर कम हुई
व्यापार नीतियों में सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए
- आयात और निर्यात पर परिमाणात्मक प्रतिबंधों की समाप्ति
- प्रशुल्कों की दरों में कमी की गई
- आयात के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया को समाप्त किया गया
- कृषि पदार्थों एवं औद्योगिक उपभोक्ता पदार्थों के आयात संबंधित प्रतिबंधों को मुक्त कर दिया गया
- अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय वस्तुओं की स्पर्धा शक्ति बढ़ाने के लिए प्रशुल्कों को हटा दिया गया