सिख धर्मगुरु: सिख धर्म के 10 गुरु के नाम, जन्म, परिवार, गुरु उपाधि तथा मृत्यु (sikh-dharm-gurus-and-their-history-in-hindi)

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सिख धर्म को गुरु नानक ने 15वीं शताब्दी में आरम्भ हुआ। सिख धर्म की शुरुआत गुरुनानक देव ने की थी जिसके बाद सिख धर्म की दुनिया के कौने-कौने तक पहुंची। सिख धर्म में मुख्यता 10 धर्मगुरु हुए जो निम् प्रकार है

सिख धर्म के धर्मगुरु

गुरु नानक देव

सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक जी जिनका जन्म तलवंडी नामक गांव में हुआ था इनके पिता जी कालू जी महाराज और माता सुलक्षणी देवी मुक्ता खत्री जाति के थे इन्हें हजरत रब्बुल मीज है की उपाधि से नवाजा ग

वस्तुतः सिक्कों का इतिहास सिख गुरुओं के इतिहास से प्रारंभ होता है सिक्कों में कुल 10 गुरु हुए

गुरु नानक देव ने नानक पंथ चलाया उन्हीं के साथ सिख कहलाए इब्राहिम लोदी के समकालीन थे उन्होंने अपने एक से लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया जो गुरु अंगद के नाम से दूसरे गुरु बने

गुरु अंगद

गुरु अंगद गुरु नानक के प्रथम शिष्य जाति से खत्री थे उन्होंने का दौर में अपनी गुरु वृद्धि बनाई तथा गुरु नानक द्वारा चलाई गई लंगर व्यवस्था को नियमित कर दिया

गुरुमुखी लिपि का आविष्कार भी गुरु अंगद द्वारा किया गया

गुरु अमरदास

गुरु अमरदास अकबर के समकालीन थे उन्होंने अपनी गद्दी गोइंदवाल में स्थापित की गुरु अमर दास ने अपने उपदेशों का प्रचार प्रसार करने के लिए 22 गत दिनों को स्थापित किया अकबर ने अमर दास की बेटी बीबी भानी के नाम कुछ भूमि दान की

गुरु रामदास

अकबर के समकालीन व अमरदास के दामाद थे अकबर ने इन्हें 500 बीघा भूमि दान दी थी इन्होंने अमृतसर नामक शहर बसाया पहले इस नगर का नाम रामदासपुर था

इनके अनुवाई रामदासी कहलाते थे रामदास ने अपने तीसरे पुत्र अर्जुन को उत्तराधिकारी नियुक्त करके गुरु का पद पैतृक बना दिया

गुरु अर्जुन देव

उन्हें सच्चा पादशाह भी कहा जाता है इन्होंने रामदास पुर में अमृतसर व संतोषसर नामक तालाब निर्मित करवाएं

अर्जुन देव ने अनिवार्य अध्यात्मिक कर लेना शुरू किया तथा अपने शिष्यों से कहा कि अपनी आय का एक बटे 10 भाग गुरु को अर्पित करें

अर्जुन देव ने तरनतारन व करतारपुर नामक नगर की स्थापना की 1595 ईस्वी में व्यास नदी के तट पर कोविड-19 शहर बसाया 1604 ईस्वी में इन्होंने आदि ग्रंथ की रचना की

खुसरो की राजगुरु को समर्थन देने के कारण जहांगीर ने 1606 ईस्वी में इन्हें मृत्यु दंड दे दिया

गुरु हरगोविंद

गुरु हरगोबिंद नए सिक्कों में सैनिक भावना पैदा की इन्होंने सैनिक शिक्षा प्रारंभ की तथा स्वयं की रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने की आज्ञा दी

इस प्रकार उन्होंने सिखों को लड़ाकू जाति के रूप में परिवर्तित करने का कार्य किया इन्होंने अमृतसर नगर की किलेबंदी कराई और यहां पर 12 फुट ऊंचा अकाल तख्त का निर्माण करवाया

हरगोविंद ने अपने शिष्यों से धन के बदले घोड़े व शस्त्र प्राप्त किए उन्होंने कश्मीर में किरतपुर नामक नगर बसाया 1644 ईस्वी में इनकी मृत्यु हो गई

गुरु हरराय

इन्होंने भी शिष्यों को सैनिक शिक्षा दी शामगढ़ की पराजय के पश्चात दाराशिकोह उनसे मिला था नाराज होकर औरंगजेब ने हरराय को दिल्ली बुलाया उससे मिलने यह स्वयं नहीं गए बल्कि अपने बेटे रामराय को भेजा राम राय के कार्यों से औरंगजेब प्रसन्न हो गया लेकिन गुरु हर राय नाराज हो गए तथा अपना उत्तराधिकारी अपने 6 वर्षीय बेटे हरकिशन को बना दिया

गुरु हरकिशन

इनका अपने बड़े भाई राम राय से विवाद हो गया हरकिशन ने अपना उत्तराधिकारी तेग बहादुर को बनाया

हर किसान को दिल्ली जाकर गुरु पद के बारे में औरंगजेब को समझाना पड़ा था उनकी मृत्यु चेचक से हुई थी

गुरु तेग बहादुर

यह हरगोविंद के पुत्र थे इन्होंने अपना केंद्र अमृतसर के स्थान पर मक्कू बाल को बनाया था 1675 ईस्वी में औरंगजेब ने तेग बहादुर को दिल्ली बुलवाया और इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा 5 दिन तक यातना देने के पश्चात इनकी हत्या कर दी गई

गुरु गोविंद सिंह

यह सिखों के दसवें गुरु थे उनका जन्म 1666 ईस्वी में पटना में हुआ था इन्होंने मकोवाल के पास आनंदपुर नामक नगर की स्थापना की तथा वही अपनी गद्दी स्थापित की

गोविंद सिंह ने 80000 की क्षमता वाली खालसा देना तैयार की थी

गुरु गोविंद सिंह ने संत 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की उन्होंने 6 अनुयायियों से 5 वस्तुएं के कंघा कक्षा कड़ा और कृपाण धारण करने को कहा

गुरु गोविंद सिंह की दो पत्नियों एवं सुंदरी से चार पुत्रों अजीत सिंह जुझार सिंह जोरावर सिंह और फतेह सिंह का जन्म हुआ था

इनके दो पत्रों फतेह सिंह और जोरावर सिंह को मुगल फौजदार वजीर खान ने दीवार में चुनवा दिया था

इन्होंने पावटा नामक स्थल की स्थापना की कोटा में गोविंद सिंह ने सेनापति के रूप में हजारों सैनिको को सैनिक प्रशिक्षण दिया और सिखों को लड़ाकू सैनिक बना दिया

गुरु गोविंद सिंह ने पाओंटा में कृष्णावतार नामक ग्रंथ की रचना की उनकी आत्मकथा का नाम विचित्रनाटक है इनकी अन्य पुस्तक का नाम चंडीदीवर है।

इन्होंने आनंदगढ़, किशनगढ़, लौहगढ़, फतेहगढ़ आदि किलो का निर्माण करवाया और नांदेड़ महाराष्ट्र जाते समय पठान वजीर खान के सहयोगियों जमशेद खान और वासिल बेग ने गोविंद सिंह की हत्या कर दी

FAQ –

सिखों के कुल कितने गुरु थे?

सिखों में कुल 10 गुरु हुए।

इन्हें भी देखें

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कलचुरी राजवंश स्थापना से लेकर उनके पतन तक पूरी जानकारी (kalchuri vansh in Hindi)

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