साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 ईस्वी को भारत आया आइये जानते है। साइमन कमीशन के भारत आने का उद्देश्य क्या था। इसका भारत में इतना विरोध क्यों किया गया। साइमन कमीशन के प्रतिवेदन और सब कुछ तो आइये देखते है।
साइमन कमीशन के अध्यक्ष एवं सदस्य
साइमन कमीशन के सभी सदस्य एवं अध्यक्ष अंग्रेज थे जिस कारण भारतीयों ने इनका बहिष्कार किया तथा किया है भारत में जिस जिस स्थान पर भी गए वहां पर देशव्यापी हड़ताल है नारी लगाए गए तथा जुलूस निकाले गए आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया गया
साइमन कमीशन जिस दिन मुंबई पहुंचा उस दिन देशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया गया सामी साइमन कमीशन जहां भी गया वहां पर पूर्ण हड़ताल रखी गई तथा साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगे जुलूस निकाले गए अनेक स्थानों पर आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस एवं पशु बल का प्रयोग किया गया जब साइमन कमीशन दिल्ली पहुंचा तो वहां काले झंडों और ब्लक साइमन कमीशन के नारे लगे केंद्रीय विधानसभा में साइमन कमीशन का स्वागत करने से मना कर दिया
साइमन कमीशन जब लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत रय के नेतृत्व में उनके खिलाफ प्रदर्शन किया गया पुलिस ने लाठीचार्ज के कारण लाला लाजपत राय की दिसंबर 1928 में मृत्यु हो गई जब साइमन कमीशन लखनऊ पहुंचा तो उसके विरुद्ध पंडित गोविंद बल्लभ पंत और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अनेक अत्याचार किए हिंदू महासभा मुस्लिम लिबरल फेडरेशन किसान मजदूर पार्टी आदि ने भी साइमन कमीशन के बहिष्कार की नीति अपनाई यद्यप मुस्लिम लीग ने साइमन कमीशन के बहिष्कार के सवाल पर 1928 ईस्वी में फूट पड़ गई और कमीशन के साथ सहयोग के पक्ष वासियों का एक गुट से अलग हो गया मोहम्मद अली जिन्ना कमीशन के बहिष्कार के सवाल पर कांग्रेस के साथ थे
जब सारी देर में “साइमन वापस जाओ” का नारा बुलंद हो रहा था पूंजीपतियों जमींदारों और कुछ देसी न देशों ने इसका समर्थन किया डॉ आबेडकर मुंबई में साइमन कमीशन के साथ सहयोग करने के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य थे
साइमन कमीशन के उद्देश्य (Objectives of Simon Commission)
कमीशन के जिम में यह काम लगाया गया था कि ब्रिटिश भारतीय प्रांतों में पता लगाएं कि सरकार कैसी चल रही है प्रतिनिधि संस्थाएं कहां तक ठीक कार्य कर रही है शिक्षा की कहां तक बढ़ोतरी हुई है और उत्तरदाई सरकार के सिद्धांत को अधिक बढ़ाया जाए या सीमित किया जाए अथवा इसमें कोई उचित परिवर्तन किया जाए
साइमन कमीशन का प्रतिवेदन (report of simon commission)
1928 तथा 1929 में साइमन कमीशन ने भारत का दो बार द्वारा किया कमीशन ने 27 मई 1930 को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की इसमें सिफ़ारिश निम्न प्रकार थी
1. 1919 ईस्वी में भारत सरकार अधिनियम के तहत लागू शासन व्यवस्था को समाप्त कर उत्तरदाई शासन की स्थापना हो
2. भारत के लिए संघीय संविधान होना चाहिए
3. केंद्र में भारतीयों को कोई भी उत्तरदायित्व प्रदान न किया जाए
4.उच्च न्यायालय को भारत सरकार के नियंत्रण में कर दिया जाए
5. बर्मा को भारत से अलग किया जाए तथा उड़ीसा एवं सिंधु को अलग प्रदेश का दर्जा दिया जाए
6. प्रांतीय विधान मंडलों में सदस्यों की संख्या को बढ़ावा दिया जाए
7. मताधिकार का विस्तार करने तथा इसे 2.8% से बढ़ाकर 10 से 15% तक बढ़ाने की बात कही गई
8. गवर्नर गवर्नर जनरल अल्पसंख्यक जातियों के हितों के प्रति विशेष ध्यान रखें
9. प्रत्येक 10 वर्ष बाद पुनः निरीक्षण के लिए एक संविधान आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए भारत के लिए एक ऐसा लचीला संविधान बने जो स्वयं से विकसित हो
साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दलों में व्याप्त आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने मैं सहयोग मिला यद्यपि इस आयोग की भारत में कड़ी आलोचना की गई फिर भी इस आयु की अनेक बातों को 1935 ईस्वी के भारत सरकार अधिनियम में स्वीकार किया गया सर शिव स्वामी अय्यर ने इसे रद्दी की “टोकरी में फेंकने लायक” बताया
Q साइमन कमीशन भारत कब आया ?
Ans – 1928
Q साइमन आयोग कब नियुक्त हुआ ?
Ans- 1927
Q साइमन कमीशन का भारत क्यों आया था ?
Ans – सन 1919 मे मे आए मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम की समीक्षा करने के लिए साइमन कमीशन भारत आया कि यह अधिनियम कहा तक सफल रहा तथा उत्तरदायी शासन की दिशा मे कहा तक प्रगति करने की स्थिति मे है कि नहीं।
Q भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया था।
Ans – क्योंकि यह आयोग भारत मे समीक्षा करने आया था लेकिन इसमे कोई भारतीय सदस्य नहीं था
Q साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे
Ans – सर जॉन साइमन
Q किसके सुझावों पर भारतीयों को साइमन कमीशन से बाहर रखा गया
Ans – लॉर्ड इरविन