पेप्सू कृषक आंदोलन क्या है। पेप्सु कृषक आंदोलन की सम्पूर्ण जानकारी (Pepsu farmers Movement 1939 in hindi )

पटियाला एडमिट पंजाब स्टेटस यूनियन ( PEPSU) आंदोलन:पटियाला पंजाब की रजवाड़ों में सबसे बड़ा था वह अपनी अत्याचारी और लालची महाराजा के लिए बदनाम था यहां के भू स्वामियों को स्थानीय भाषा में ‘विशवेदार’ जाता था तूने पहली सिर्फ लगान वसूली के अधिकारी प्राप्त थे लेकिन बाद में प्रशासन में अपने बढ़ते प्रभाव के कारण भी स्वामित्व का अधिकार हासिल करने में सफल हुए परिणाम स्वरूप पटियाला में करीब 800 गांव के सारे खेतिहर मालिक अस्थाई तथा स्थाई काश्तकार बना दिए गए नए काश्तकारों का मानना था कि भूमि स्वामियों को जमीन पर कोई वैध अधिकार नहीं था

पेप्सू कृषक आंदोलन की शुरुआत

1939 ईस्वी में एक शक्तिशाली आंदोलन शुरू हुआ और 1945 ईस्वी में इसने उजाला किसानों और विश्वे तारों के बीच खुले टकराव के रूप ले लिया प्रजामंडल ने बृजभान के प्रभाव में महाराजा विरोधी जनतंत्रिक आंदोलन का नेतृत्व किया बृजभान कम्युनिस्टों एवं काश्तकारों की हमदर्द थे प्रजामंडल को कांग्रेस का समर्थन मिलने से काश्तकारों को बल मिला

आजादी के बाद पटियाला भारत संघ में शामिल हो गया लेकिन जिम्मेदार सरकार बनाने की दिशा में महाराजा ने कोई कदम नहीं उठाया महाराजा सभी राजनीतिक दलों से अलग-थलग पड़ गए उन्होंने मजारों का भारी दमन करना शुरू किया फलस्वरूप प्रजामंडल ने काश्तकारों की ओर से दिल्ली में राज्य संबंधी मंत्रालय को शिकायत की जुलाई 1948 ईस्वी में एक नए राज्य का निर्माण किया गया जिसका नाम था पेप्सू 88 पटियाला एडमिट पंजाब स्टेटस यूनियन ( PEPSU) इससे दमन में कमी आई एक नए राज्य में पंजाब के तत्कालीन रजवाड़ों को शामिल किया गया

यह नया राज्य अपने अधिकारों का पूरा पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा था यह परिस्थिति एक ग्रह युद्ध जैसी बनती जा रही थी विरोधी वर्गमूल तथा राजनीतिक दलों को अपना मसला खुद निपटाने के लिए छोड़ दिया गया था कुछ भूस्वामी सदस्य दस्तों का प्रयोग करने लगे हथियारबंद स्वयं सेवक दल का निर्माण 1948 ईस्वी में तेजा सिंह स्वतंत्तर के नेतृत्व में लाल कम्युनिस्ट पार्टी ने उसी वर्ष किया यह दल पंजाब के कम्युनिस्टों से अलग हुआ था यह अधिकतर कीर्ति ग्रुप के थे जो गदर आंदोलन में पैदाइश थे

1951 ईस्वी में कांग्रेसी मंत्रिमंडल बनने के बाद परिस्थितियां बदल गई इसमें विश्वान उपमुख्यमंत्री के कृषि संबंधी सुझाव देने के लिए एक कृषि सुधार जांच समिति बिठाई गई कानून बनने तक पेप्सू काश्तकारी 1 जनवरी 1952 ईस्वी में लागू किया गया इसमें काश्तकारों को बेदखली के संरक्षण प्रदान किया गया था। इसी बीच आम चुनाव में कांग्रेस को पेप्सू में बहुमत नहीं मिल पाया इस बार महाराजा के चाचा राधे वाला का मंत्रिमंडल बना यह मंत्रिमंडल भी बिना कृषि कानून पास किए गिर गया अतः राष्ट्रपति शासन लागू किया गया राष्ट्रपति ने पेप्सू स्थाई का अधिकार संबंधी अधिनियम 1953 ईस्वी लागू किया अधिनियम के तहत नियमित जमीन जोतने वाले काश्तकार भू लगान का 12 गुना मुआवजा देकर इस जमीन के मालिक बन सकते थे कम्युनिस्टों ने नए कृषि कानूनों की आलोचना की फलस्वरूप किसानों से अलग-थलग पड़ने लगे इससे कम्युनिस्टों को नुकसान उठाना पड़ा।

FAQ

पेप्सु का पूरा नाम

पटियाला एडमिट पंजाब स्टेटस यूनियन

पेप्सु आंदोलन कब शुरू हुआ ?

1939 ईस्वी में

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