राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद की स्थापना केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कौशल विकास के मद्देनज़र मौजूदा नियामक संस्थानों – राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद् ( national council of vocational training ) और राष्ट्रीय कौसल विकास एजेंसी ( national skill development agency-NSDA ) को मिलाकर राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद की स्थापना हुई।
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद दीर्घकालीन और अल्पकालीन दोनों तरह की व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के काम में लगे निकायों के कामकाज को नियमित करेगा तथा इन निकायों के कामकाज के लिए न्यूनतम मानक तैयार करेगा राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद के द्वारा किए जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
- निर्णायक निकायों मूल्यांकन निकायों और कौशल संबंधी सूचना प्रदाताओं की मान्यता तथा उनका नियमन।
- निर्णायक निकायों और क्षेत्र कौशल परिषदों द्वारा विकसित पात्रताओं की मंजूरी ।
- निर्णायक निकायों और मूल्यांकन एजेंसियों के जरिए व्यवसाय प्रशिक्षण संस्थानों का अप्रत्यक्ष नियमन
- अनुसंधान एवं सूचना प्रसार से संबंधित शिकायत का निवारण
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद की पृष्ठभूमि
पहले देश की कौशल प्रशिक्षण आवश्यकताओं को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों के जरिए पूरा किया जाता था इसके अलावा इस आवश्यकता को एनसीबीटी द्वारा नियमित प्रमापीय नियोजन योजना के जरिए पूरा किया जाता था क्योंकि यह व्यवस्था देश की बढ़ती कौशल जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी और कुशल श्रम शक्ति की आवश्यकता भी बढ़ रही थी इसलिए सरकार ने कौशल प्रयासों को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए
इस समय कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए 20 मंत्रालय विभाग मौजूद हैं जिनमें से अधिकतर निजी क्षेत्र के प्रशिक्षण प्रदाताओं की सहायता से चल रहे हैं
वर्ष 2013 में राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी की स्थापना के जरिए नियमन उपायों की कोशिश की गई थी ताकि सरकार और निजी क्षेत्र के कौशल विकास प्रयासों में समन्वय बनाया जा सके एनएसडीए की प्रमुख भूमिका राष्ट्रीय कौशल पात्रता संरचना को संचालित करने की थी ताकि क्षेत्रवार आवश्यकताएं के लिए गुणवत्ता तथा मां को को सुनिश्चित किया जा सके
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद का स्वरूप
शिक्षा परिषद का नेतृत्व एक अध्यक्ष की हाथ में होगा तथा इस परिषद में कार्यकारी सदस्य होंगे
चूँकि एनसीबीटी को दो मौजूदा निकायों को आपस में मिलाकर स्थापित करने का प्रस्ताव है इसलिए मौजूदा अवसंरचना तथा संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा
उपरोक्त के अलावा कामकाज को आसान बनाने के लिए अन्य पदों का भी सृजन किया जाएगा
नियामक निकाय नियमन क्रियाओं के उत्कृष्ट व्यवहारों का पालन करेगा जिससे परिषद का कामकाज और संचालन प्रोफेशनल तरीके से तथा मौजूदा कानूनों के तहत सुनिश्चित किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद की स्थापना से होने वाले लाभ
इस संस्थान से सुधार से गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बाजार में कौशल विकास कार्यक्रमों की प्रसंगिकता बढ़ेगी जिसके फलस्वरूप व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की साख में इजाफा होगा
कौशल क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ेगी
यह संभव हो जाने से व्यवसायिक शिक्षा के मूल्यों और कुशल श्रम शक्ति को बढ़ाने संबंधी दौरे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी इसके कारण भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के विषय में प्रधानमंत्री की एजेंडा को बल मिलेगा
राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा परिषद भारत की कौशल इको प्रणाली कि एक नियामक संस्था है जिसका देश में व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण में संलग्न सभी व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
कौशल आधारित शिक्षा के विचार को आकांक्षी आचरण के रूप में देखा जाएगा जिससे छात्रों को कौशल आधारित शैक्षिक पाठ्यक्रमों में हिस्सा लेने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा
इस उपाय से उद्योग और सेवा क्षेत्र में कुशल श्रम शक्ति की स्थिर आपूर्ति के जरिए व्यापार में सुगमता होगी
निष्कर्ष
कौशल आधारित अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण के सभी पक्षों को पूरा करने के लिए एक समय के नियामक प्राधिकार की आवश्यकता थी और NCVET को एक ऐसे संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो उन सभी नियामक कार्यों को पूरा करेगा जिन्हें NCVT तथा NSDA करते रहे हैं
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