जलियांवाला बाग हत्या काण्ड 1919: गाँधी जी तथा कुछ अन्य नेताओं के पंजाब प्रवेश पर प्रतिबंध लगे होने के कारण वहाँ की जनता में पर्याप्त आक्रोश था। यह आक्रोश तब अधिक बढ़ गया जब पंजाब के दो लोकप्रिय नेता ‘डॉ० सत्यपाल’ एवं ‘डॉ० सैफुद्दीन किचलू” को अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा बिना किसी कारण के 9 अप्रैल 1919 ई० को गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी गिरफ्तारी का आदेश पंजाब प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर “माइकल ओ० डायर” ने दिया था।
ये दोनों नेता दिसम्बर, 1919 ई० में होने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन की स्वागत समिति से सम्बद्ध थे। इनकी गिरफ़्तारी के विरोध में जनता ने एक शान्तिपूर्ण जुलूस निकाला। पुलिस ने जुलूस को आगे बढ़ने से रोकने का असफल प्रयास किया। फलस्वरूप भीड़ पर गोली चला दी गई जिमके परिणामस्वरूप दो लोग मारे गए। जुलूस ने उग्र रूप धारण कर कई सरकारी इमारतों को आग लगा दी ओर पाँच अंग्रेजों को जान से मार दिया। अमृतसर शहर की स्थिति से बौखला कर सरकार ने 10 अप्रेल, 1919 ई० को शहर का प्रशासन सैन्य अधिकरी जनरल आर० डायर को सोंप दिया। इसने 12 अप्रैल को कुछ गिरफ़्तारी करवाई ।
13 अप्रैल, 1919 ई० को बेशाखी के दिन सायं करीब चार बजे अमृतसर के जलियांवाला बाग बाग में एक विशाल सभा का आयोजन हुआ जिसमें करीब 20 हजार व्यक्ति इकट्ठे हुए।
यह सभा किसने बुलाई थी, इस सम्बंध में ‘हंसराज’ नामक व्यक्ति का उल्लेख आता हे। यही व्यक्ति बाद में सरकारी गवाह बन गया था। दूसरी ओर डायर ने इस दिन साढ़े नौ बजे ही सभा को अवैधानिक घोषित कर दिया था। सभा में गाँधीजी, डॉ० किचलू ओर सत्यपाल की रिहाई एवं रोलेट ऐक्ट के विरोध में भाषणबाजी की जा रही थी।
ऐसे में डायर ने तीन मिनट के अंदर भीड़ को हटने का आदेश देकर कुछ सैनिकों के साथ बाग के मुख्य दरवाजे पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने फौज को भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। वे तब तक गोलियां चलाते रहे जब तक गोलियां खत्म न हो गईं। हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा एवं 3,000 लोग घायल हो गए। वैसे सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 379 व्यक्ति मारे गए एवं 1,200 घायल हुए।
इस हत्याकाण्ड में डायर नामक एक व्यक्ति ने डायर को सहयोग दिया था। दीनबंधु एफ० एण्डूज ने इस हत्याकाण्ड को “जानबूझकर की गई हत्या” कहा।
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के समय पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ० डायर ने इस कृत्य के संदर्भ में कहा कि-तुम्हारी कार्यवाही ठीक है, गवर्नर इसे स्वीकार करता हे ।” इस बर्बर हत्याकाण्ड के बाद 15 अप्रेल को पंजाब के लाहोर, गुजरावाला, कसूर, शेखपुरा एवं वर्जीराबाद में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया जिसमें करीब 288 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर अनेक प्रकार की सजाएँ दी गईं।
जलियाँवाला बाग नरसंहार के फलस्वरूप रवीद्धनाथ टैगोर ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई ‘नाइट’ की उपाधि वापस कर दी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सर शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् की अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। टेगोर ने कहा–“समय आ गया है जब सम्मान के तमगे अपमान के बेतुके संदर्भ में हमारे कलंक को सुस्पष्ट कर देते हैं, जहाँ तक मेरा प्रश्न है मैं सभी विशेष उपाधियों से रहित होकर अपने देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहता हूँ।” इस काण्ड के बरे में थामसन एवं गैरेट ने लिखा कि–‘अमृतसर दुर्घटना भारत-ब्रिटेन सम्बंधों में युगान्तरकारी घटना थी जैसा कि 1857 ई० का विद्रोह।
जलियाँवाला बाग हत्या काण्ड की जाँच के लिए बनाई गई कमेटी
हण्टर कमेटी (1919)
सरकार ने विवशता में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच हेतु एक अक्टूबर, 1919 ई० को लॉर्ड हण्टर की अध्यक्षता में एक आयोग की स्थापना की। इस आयोग में आठ सदस्य थे जिसमें पाँच अंग्रेज और तीन भारतीय थे।
पाँचोंअंग्रेजों के नाम
- लार्ड हण्टर.
- जस्टिस रेस्किन
- डब्लू० एफ० राइस
- मेजर जनरल सर जार्ज बेरो
- सर टॉमस स्मिथ
तीन भारतीय सदस्य निम्नलिखित थे
- सर चिमन लाल सीतलवाड़
- साहबजादा सुल्तान अहमद
- जगत नारायण
हण्टर कमेटी ने मार्च, 1920 ई० में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की । इसके पहले ही सरकार ने दोषी लोगों को बचाने के लिए इण्डेम्निगी बिल” पास कर लिया था। कमेटी ने सम्पूर्ण प्रकरण पर लीपा-पोती करने का प्रयास किया। पंजाब के गवर्नर को निर्दोष घोषित किया गया। समिति ने डायर पर दोषों का हल्का बोझ डालते हुए कहा कि डायर ने कर्तव्य को गलत समझते हुए जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया परन्तु जो कुछ किया, निष्ठा से किया। तत्कालीन भारतीय सचिव माण्टेग्यू ने कहा- जनरल डायर ने जेसा उचित समझा, उसके अनुसार बिल्कुल नेक नियती से कार्य किया। अतः, उसे परिस्थिति को ठीक-ठीक समझने में गलती हो गई। डायर को उसके अपराध के लिए नोकरी से हटाने का दण्ड दिया गया। ब्रितानी अखबारों ने उसे ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक एवं ब्रितानी लार्ड सभा ने उसे “ब्रिटिश साम्राज्य का शेर” कहा। सरकार ने उसकी सेवाओं के लिए उसे “मान की तलवार” की उपाधि प्रदान की। इंग्लेण्ड के एक अखबार “मार्निग पोस्ट” ने डायर के लिए 30 हजार पाउण्ड धनराशि इकट्ठा किया था। पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर ‘माइकल ओ० डायर’ की ऊधम सिंह ने मार्च, 1940 ई० में लंदन में हत्या कर दी। इन्हें गिरफ्तार कर मृत्युदण्ड दे दिया गया।
तहकीकात कमेटी (1919)
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच के लिए कांग्रेस ने भी एक समिति की नियुक्ति की, जिसे ‘हकीकात कमेटी” कहा जाता है। इसके अध्यक्ष ‘मदन मोहन मालवीय‘ थे। इसके अन्य सदस्य महात्मा गाँधी, मोती लाल नेहरू, अब्बास तैय्यबजी, सी० आर० दास एवं पुपुल जयकर थे। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के इस बर्बर कृत्य के लिए उन्हें निंदा का पात्र बनाया एवं सरकार से दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही एवं मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की माँग की, परन्तु सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया।
FAQ-
जलियांवाला बाग हत्याकांड में क्या हुआ था?
ans –13 अप्रैल, 1919 ई० को बेशाखी के दिन सायं करीब चार बजे अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक विशाल सभा का आयोजन हुआ जिसमें करीब 20 हजार व्यक्ति इकट्ठे हुए।
यह सभा किसने बुलाई थी, इस सम्बंध में ‘हंसराज’ नामक व्यक्ति का उल्लेख आता हे। यही व्यक्ति बाद में सरकारी गवाह बन गया था। दूसरी ओर डायर ने इस दिन साढ़े नौ बजे ही सभा को अवैधानिक घोषित कर दिया था। सभा में गाँधीजी, डॉ० किचलू ओर सत्यपाल की रिहाई एवं रोलेट ऐक्ट के विरोध में भाषणबाजी की जा रही थी।
ऐसे में डायर ने तीन मिनट के अंदर भीड़ को हटने का आदेश देकर कुछ सैनिकों के साथ बाग के मुख्य दरवाजे पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने फौज को भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। वे तब तक गोलियां चलाते रहे जब तक गोलियां खत्म न हो गईं। हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा एवं 3,000 लोग घायल हो गए। वैसे सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 379 व्यक्ति मारे गए एवं 1,200 घायल हुए।
जलियांवाला बाग हत्याकांड का कारण क्या था?
पंजाब के दो लोकप्रिय नेता ‘डॉ० सत्यपाल’ एवं ‘डॉ० सैफुद्दीन किचलू” को अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा बिना किसी कारण के 9 अप्रैल 1919 ई० को गिरफ्तार कर लिया गयाथा जिसके विरोध में जलियांवाला बाग में एक सभा हुई जिसमे जनरल डायर ने गोलियां चलवा दी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में गोली चलाने का आदेश कौन दिया था?
जलियांवाला बाग हत्याकांड में गोली चलाने का आदेश जनरल डायर ने दिया था।
जलियांवाला बाग कहाँ पर स्थित है?
पंजाब के अमृतसर में।