होमरूल लीग आन्दोलन (1916 ई०): “होमरूल” आयरलेण्ड का शब्द है। सर्वप्रथम आयरलेण्ड में आयरिश नेता रेडमाण्ड’ के नेतृत्व में ‘होमरूल लीग” की स्थापना हुई थी।
जब इंग्लैण्ड प्रथम विश्वयुद्ध में व्यस्त था उसी समय भारतीय नेता बाल गंगाधर तिलक और श्रीमती ऐनी बेसेन्ट ने आयरलेण्ड की तर्ज पर देश में राष्ट्रीय आन्दोलन को नया जीवन प्रदान करने, होमरूल आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया। अतः 23 अप्रैल 1916 ई० को तिलक ने पूना में “होमरूल लीग” की स्थापना की ओर उसके पाँच महीने बाद सितम्बर, 1916 ई० में ऐनी बेसेन्ट ने मद्रास में “अखिल भारतीय होमरूल लीग” की स्थापना की। होमरूल आन्दोलन का उद्देश्य था ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवेधानिक तरीके से स्वशासन को प्राप्त किया जाए।
तिलक का होमरूल लीग
स्थापना : 28 अप्रेल, 1916 ई०
स्थान – पूना
प्रथम अध्यक्ष– जोसेफ बैपटिस्टा
सचिव : एन० सी० केलकर
तिलक द्वारा स्थापित होमरूल लीग के कमेटी के सदस्यों में जी० एस० खापडें, बी० एस० मुंजे एवं आर पी० करंडीकर चुने गए। तिलक द्वारा स्थापित लीग का प्रभाव कर्नाटक, महाराष्ट्र (बम्बई को छोड़कर) , मध्यप्रांत एवं बरार तक फैला हुआ था। तिलक मे नासिक में मई, 1917 ई० में लीग की पहली वर्षगाँठ मनायी। तिलक ने अपने पत्र ‘मराठा‘ ओर ‘केसरी‘ के माध्यम से अपने होमरूल की अवधारणा को स्पष्ट किया। तिलक के अनुसार स्वराज से उनका तात्पर्य ब्रिटिश नोेकरशाही की जगह ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत भारतीय जनता के प्रति उत्तरदायी शासन था। इन्होंने पूरे देश में दौरा करके स्वराज के लिए जनमत तेयार करने का प्रयास किया और नारा दिया–“स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हे ओर में इसे लेकर रहूँगा।“
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ऐनी बेसेण्ट की ‘आल इण्डिया होमरूल लीग’
स्थापना : सितम्बर, 1916 ई०
स्थान : मद्रास
संस्थापक : ऐनी बेसेन्ट
सचिव : जार्ज अरुण्डेल
श्रीमती ऐनी बेसेण्ट आयरिश महिला थीं। इन्होंने ही मूलतः होमरूल लीग की स्थापना करने के सम्बन्ध में योजना बनायी। उन्होंने अनुभव किया कि स्वशासन प्राप्त किए बिना कोई वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती अतः वे इस राजनीतिक संघर्ष में कूद पड़ीं। उन्होंने यह भी अनुभव किया कि उस समय उदारवादियों के नियंत्रण में कांग्रेस इतनी शक्तिहीन है कि वह स्वशासन की दिशा में कोई भी कार्य नहीं कर सकती हे। स्वशासन आन्दोलन का शुभारम्भ 2 जनवरी, 1914 ई० को साप्ताहिक पत्रिका “कॉमनवील” के प्रकाशन के साथ हुआ । इस पत्रिका ने ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल के अन्तर्गत स्वशासन के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सामाजिक तथा राजनीतिक सुधारों को अपना आधारभूत कार्यक्रम बनाया
ऐनी बेसेंट की होमरूल की स्थापना सितम्बर; 1916 ई० में “मद्रास’ में की गई। इनके सहायक सचिव “जार्ज अरुण्डेल” थे। होमरूल आन्दोलन में सुब्रमण्यम अय्यर ने सबसे प्रमुख योगदान दिया। मोतीलाल नेहरू तथा तेज बहादुर सप्रू जेसे नेता इनके होमरूल में शामिल थे। तिलक के क्षेत्रों को छोड़कर देश के बाकी सभी हिस्सों में होमरूल आन्दोलन को फैलाने का दायित्व ऐनी बेसेन्ट पर था। इन्होंने अपने होमरूल का प्रचार अपने देनिक पत्र ‘न्यू इण्डिया’ (14 जुलाई, 1914 ई० से प्रकाशित) एवं साप्ताहिक पत्र ‘कॉमनवील” (2 जनवरी, 1914 ई० से प्रकाशित) के माध्यम से किया जिसमें “न्यू इण्डिया‘ का प्रमुख योगदानरहा। होमरूल लीग के सर्वाधिक कार्यालय मद्रास में थे। वेसे ऐनी बेसेन्ट भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की विरोधी थीं।
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होमरूल आन्दोलन को जनता में अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। लीग के बढ़ते हुए प्रभाव से खतरा महसूस कर ब्रिटिश सरकार ने 1917 ई० में ऐनी बेसेन्ट को गिरफ्तार कर लिया। लीग ने गिरफ्तारी के विरोध में सत्याग्रह करना चाहा। परन्तु इसके पूर्व ही सरकार ने ऐनी बेसेन्ट को छोड़ दिया। होमरूल आन्दोलन से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक नई शक्ति ओर चेतना का संचार हुआ। इस आन्दोलन से राजनीतिक क्षेत्र में उदाखादियों के प्रभाव का लगभग सूर्यास्त हो गया। इसकी व्यापक सफलता के परिणामस्वरूप कांग्रेस में उग्रवादियों का पुनः प्रवेश हुआ। 1917 ई० में ऐनी बेसेन्ट को कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने घोषणा की किन भारत अब अनुग्रहों के लिए अपने घुटनों पर नहीं बल्कि अधिकारों के लिए अपने पैरों पर खड़ा है।” चारों ओर से दबाव महसूस कर भारत सचिव माण्टेग्यू ने 20 अगस्त, 1917 ई० को ब्रिटिश संसद में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत को “उत्तरदायी शासन” प्रदान करने की बात कही गई थी। परिणामस्वरूप ऐनी बेसेन्ट ने 20 अगस्त, 1917 ई० को होमरूल लीग को समाप्त करने की घोषणा की।
questions
1916 में होम रूल लीग की शुरुआत किसने की थी?
होमरूल लीग की शुरुआत दो नेताओं बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने की थी
होमरूल आंदोलन कब और किसने चलाया?
भारतीय नेता बाल गंगाधर तिलक और श्रीमती ऐनी बेसेन्ट ने आयरलेण्ड की तर्ज पर देश में राष्ट्रीय आन्दोलन को नया जीवन प्रदान करने, होमरूल आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया। अतः 23 अप्रैल 1916 ई० को तिलक ने पूना में “होमरूल लीग” की स्थापना की ओर उसके पाँच महीने बाद सितम्बर, 1916 ई० में ऐनी बेसेन्ट ने मद्रास में “अखिल भारतीय होमरूल लीग” की स्थापना की।
होमरूल आंदोलन का लक्ष्य क्या था
होमरूल लीग आंदोलन का लक्ष्य संवैधानिक माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वशासन को प्राप्त करना था।