भारत एक ऐसा राज्य है जहां राष्ट्रपति तथा राज्यपाल दोनों ही संवैधानिक अध्यक्ष हैं वह दोनों की स्थिति में कुछ बुनियादी अंतर है
जो इस प्रकार है
जहां राष्ट्रपति का निर्वाचन होता है वही राज्यपाल नाम निर्देशित किया जाता है
जहां राष्ट्रपति को केवल महाभियोग की कठिन प्रक्रिया द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है वहां राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है
ध्यान राष्ट्रपति अपने सभी कृतियों के निर्वाह में मंत्रिपरिषद की सलाह से बना हुआ है वहीं राज्यपाल के मामलों में सहायता और सलाह का बंद है वहां तक की राज्यपाल किसे अपेक्षा की जाती है कि वह अपने विवेका अनुसार कार्य करेगा उसके सेवा लागू होगा अनुच्छेद 163 देश में संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 74 में संशोधन करके बंद कर दिया गया है कि राष्ट्रपति सलाह के अनुसार कार्य करेगा लेकिन राज्यपालों पर लागू अनुच्छेद 163 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है यह निर्णय लिया गया है कि समानता राज्यपाल अपने मंत्रियों की सलाह के अनुसार ही कार्य कर सकता है अन्यथा नहीं
राष्ट्रपति का कार्यकाल कार्यात्मक कम पर औपचारिक अधिक होता है लेकर राज्यपाल का कार्यकाल औपचारिक के साथ ही कार्यात्मक भी होता है
संविधान में स्पष्ट कहा कुछ विशिष्ट विवेकाधीन शक्तियां राज्यपाल को प्रदान की है किंतु राष्ट्रपति के लिए कोई संतुष्ट विवेकाधीन शक्तियां नहीं है इसे संविधान द्वारा उपेक्षित किया गया है
छेद 163a के अनुसार राज्यपाल को उसके कार्यों में उस सीमा तक जब उसे अपने विवेकाधीन शक्तियों के प्रयोग की आवश्यकता हो उसके अतिरिक्त सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी अतहर राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों का शुस्पष्ट विवरण अनुच्छेद 163 में उल्लेखित है
अनुच्छेद 123 82 के अनुसार यदि किसी मुद्दे को लेकर यह प्रश्न उठे कि यह विवेकाधीन है या नहीं तो राज्यपाल करने नहीं इस दिशा में अंतिम होगा
अनुच्छेद 200 के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग कर राज्य विधायिका से पारित अध्यादेश को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार आडसर रोक सकता है इस प्रकार की कोई शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त नहीं है
अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्यपाल राज्य सरकार द्वारा संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार कार्य नहीं करने पर राष्ट्रपति को राज्य प्रशासन का अधिग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता है
राज्यपाल का अस्तित्व मंत्री परिषद की सहायता और सलाह के बिना राष्ट्रपति शासन काल में बना सकता है
अनुच्छेद 371 कुछ विशेष राज्यों की राज्यों को विशेष उत्तरदायित्व प्रदान करता है