भारत में सिंचाई : भारत में कृषि के लिए जल की प्राप्ति वर्षा द्वारा की जाती है। मानसूनी वर्षा की अनियमितता के कारण फसलोत्पादन की वृहद स्तर पर बर्बादी हो जाती है। इस जोखिम को कम करने के लिए कृषि में सिचाई साधनों का प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। इन सिंचाई परियोजनाओं को तीन भागों में बांटा गया है।
वृहद सिंचाई परियोजनाएं
इसमें 10000 हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि को जल उपलब्ध कराने वाली नहरें शामिल होती है
माध्यम सिंचाई परियोजनाएं
जिन नहरों का सिंचित कृषि क्षेत्र 2000 हेक्टेयर से अधिक किन्तु 10000 हेक्टेयर से कम होता है वे नहरे इस वर्ग में आती है।
लघु सिंचाई परियोजनाएं
जिनका कृषि योग्य क्षेत्र 2000 हेक्टेयर या उससे कम हो, वे इस वर्ग में आते है। जैसे कुए, नलकूप, पम्पसेट, ड्रिप सिंचाई, तालाब व छोटी-छोटी नहरे।
वर्ष 2010 में कृषि में जल का उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लघु सिंचाई मिशन बनाया गया है। वास्तव में यह योजना जनवरी 2006 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू की गई थी
भारत की सिंचाई से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रफल वाले चार राज्य 1 उत्तर प्रदेश , 2 राजस्थान , 3 पंजाब , 4 आंध्रप्रदेश
कुल क्षेत्रफल के प्रतिशत की दृस्टि से पंजाब 97.8% भाग के साथ सर्वाधिक सिंचित भूमि वाला राज्य है।
देश में सबसे कम सिंचित क्षेत्रफल प्रतिशत की दृस्टि से मिजोरम 7.3% में पाया जाता है। जबकि असिंचित क्षेत्रफल की दृस्टि से ये राज्य है – महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश व कर्नाटक
भारत में समस्त सिंचित क्षेत्रों में सिंचाई साधनों का योगदान
सिंचाई साधन | सिंचित क्षेत्र ( प्रतिशत में ) |
नलकूप एवं कुआ | 57% |
नहर | 32% |
तालाब | 6% |
अन्य साधन | 5% |