भारत में अरब आक्रमण एवं अरब आक्रमण का भारत पर प्रभाव (Arab invasion in India and effect of Arab invasion on India)

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भारत में अरब आक्रमण : सातवीं सदी से ही भारत और अरब के मध्य संपर्क और संबंध की शुरुआत हो चुकी थी अरबी भाषा में लिखे गए चचनामा से इसके विवरण मिलते हैं भारत में अरबों की आगमन का राजनीतिक दृष्टि से उतना महत्व नहीं है जितना अन्य पक्षों का है अरब आक्रमणकारी भारत में उस प्रकार का साम्राज्य नहीं बना पाई जैसा कि उन्होंने एशिया अफ्रीका और यूरोप के विभिन्न भागों में स्थापित किया यहां तक कि सिंध में भी उनकी शक्ति अधिक दिनों तक नहीं बनी रह सकी किंतु दीर्घकालीन परिणामों से ऐसा प्रतीत होता है कि अरबों के आगमन से दोनों संस्कृतियों अरबी एवं भारतीय परस्पर व्यापक रूप से प्रभावित हुई

अरबो से पूर्व भी भारत पर शक एवं कुषाढ़ तथा हूण आदि शक्तियां आक्रमण कर चुकी थी किंतु भारतीय संस्कृति ने आत्मसात कर लिया था उन्होंने भारतीय धर्म पर सामाजिक आचार-विचारों को ग्रहण किया और अपनी विशिष्टता खो बैठे उनका एक-दूसरे पर प्रभाव भी पढ़ा यद्यपि हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही भारतीय समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृतियों के साथ विधमान रहे अरबों के आक्रमण का भारत पर जो प्रभाव पड़ा उसका आकलन निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर किया जा सकता है

अरब आक्रमण का भारत पर प्रभाव

भारत में अरबी आक्रमण का राजनीतिक प्रभाव

भारत की राजनीति पर भी अरब आक्रमण का व्यापक प्रभाव पड़ा यद्यपि मोहम्मद बिन कासिम से पूर्व भी अरबों की ओर से भारत में आक्रमण के प्रयास किए गए तथा पी में असफल रहे मोहम्मद बिन कासिम को पहला सफल अरब आक्रमणकारी माना जाता है मोहम्मद बिन कासिम के विरोध के लिए भारत में कई स्थानीय शक्तियां उत्पन्न हुई जिन्होंने बाद के कई वर्षों तक भारत के विभिन्न भागों में शासन किया इसमें गुर्जर प्रतिहार राष्ट्रकूट तथा चालुक्य प्रमुख थे

भारत में अरबी आक्रमण का शिक्षा और साहित्य पर प्रभाव

अरबो ने भारत का उपयोग एक शिक्षा स्रोत के रूप में भी किया उन्होंने नक्षत्र विज्ञान दर्शनशास्त्र चिकित्सा प्रबंधन तथा गणित का ज्ञान भारत से हासिल किया अलबरूनी के अनुसार ब्रह्म गुप्त की कई पुस्तकों तथा पंडित विष्णु शर्मा की पुस्तक पंचतंत्र का अनुवाद अरबी भाषा में कराया गया था इस्लामी प्रभाव के परिणाम स्वरूप भारत की प्रादेशिक भाषाओं के साहित्य की प्रगति भी हुई मुल्ला दाऊद, कुतुब बंद , मंजन, जायसी जैसे सूफी संतों ने हिंदी भाषा में ग्रंथ लिखे यहां यह उल्लेखनीय है कि सूफी धार्मिक संप्रदाय का उद्भव सिंध क्षेत्र में हुआ था

भारत में अरबी आक्रमण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अरबों का भारत आगमन आर्थिक व व्यावहारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था अरब व्यापारियों के समुद्री एकाधिकार के साथ भारतीय व्यापारियों ने भी तालमेल बनाया और पश्चिमी देशों तथा अफ्रीकी देशों में अपने व्यापार का विस्तार किया इस बाणिज्य विस्तार से भारतीयों की आमदनी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा

भारत में अरबी आक्रमण का सांस्कृतिक प्रभाव

भारत में आर्यों के आगमन के बाद भारतीय समाज में भी अनेक परिवर्तन दिखाई दिए इसमें से कुछ परिवर्तन निम्नलिखित हैं

  • किन्नरों ने अपनी जातीय स्वच्छता को बनाए रखने के लिए कई कठोर नियम अपना एजेंसी अंतरजातीय विवाह निषेध बाल विवाह व पर्दा प्रथा का आरंभ राजपूतों में जौहर प्रथा का प्रचलन आदि
  • कुलीन हिंदुओं तथा मुसलमानों के समान पोशाक पहनना जैसी लंबी बाहुबली कुर्ता पैजामा आदि
  • हिंदुओं में मघपान तथा मांसाहार का प्रचलन बढ़ने लगा
  • हिंदू धर्म की कट्टरता में कमियां शूद्रों को मंदिरों में प्रदेश में ले लगा तथा अजमेर दरगाह जाने वाले हिंदुओं की संख्या बढ़ने लगी

भारत में अरबी आक्रमण का भारतीय कला पर प्रभाव

इस्लामी सभ्यता तथा संस्कृति ने भारत की प्रचलित कलाम पर सर्वाधिक प्रभाव छोड़ा हिंदुओं ने इस्लामी कला के प्रायः सभी उपयोगी एवं सुंदर तत्वों को आत्मसात कर लिया इस्लाम के प्रभाव में भारत की स्थापत्य कला विशेष रूप से प्रभावित हुई यद्यपि ललित कलाओं नृत्य गायन वादन पर इस्लाम धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा इसके प्रमुख उदाहरण इस प्रकार है

  • भावना एवं मंदिरों में घुमा दो एवं मेहराबों का प्रयोग आरंभ हुआ वृंदावन के कई मंदिरों पर इस्लामी कला का प्रभाव देखा जा सकता है।
  • राज महिलाओं व विशिष्ट इमारतों पर इस्लामी कला शैली का प्रभाव पड़ा बीकानेर जोधपुर तथा ओरछा के दुर्ग इसके प्रमुख उदाहरण है

समग्रता यह कहा जा सकता है कि हिंदू व इस्लामी संस्कृति के परस्पर सामंजस्य एक विशिष्ट संस्कृति उमरी जिसमें दोनों के सांस्कृतिक मूल्य भी अक्षुण्ण बने हुए थे। भारत मे गंगा जामुनी तहजीब के नाम से प्रसिद्ध यह परंपरा आज भी विद्यमान है।

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